
स्पर्श
वासना से दग्ध
हाथों ने छुआ जिस पल
मोम सी अहिल्या
पत्थर हुयी उसी पल
स्नेहसिक्त
एक स्पर्श
राम का
फूंक गया पाषाण
देह समझती है
अन्तर स्पर्श का...
स्वप्न
बाँध पोटली
स्वप्नों की
रख लेती हूँ
तकिये के नीचे और
सो जाती हूँ
हर सुबह
काजल केसाथ
डाल लेती हूँ वापस
आंखों में काजल की
लकीरों के भीतर भीतर !
लिफाफे में बादल
एक चंचल बादल का टुकडा
घुस आया था मेरे कमरे में
खिड़की खुली रह गयी थी शायद
उसे लिफाफे में बंद कर
तुम्हे भेज दिया था
क्या वो मिला तुम्हे?
क्या वो बरसा ?
क्या तुम भीगे उस बौछार में?
कवयित्री का पहला काव्य संग्रह 'चाँद खिड़की से ' जयपुर के लोकायत प्रकाशन से इसी साल आया है ,भारती का जन्म और शिक्षा दिल्ली में हुई ,जयपुर से गहरा और लंबा जुडाव,कविता और कला में समान रूचि , सम्प्रति वे दो बेटों के साथ केलिफोर्निया यू एस ए में रहती हैं ।
3 comments:
wah... bahut khoobsoorat kavitaayen hain ,samvedanaa se bharpoor
wah.......
badal kavita khoob khoobsurat hai.apne blog pr apki hajri lga li dushyant ji.
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