Thursday 25 December, 2008

रजनीगंधा की महक शब्दों का जादू









रिपोर्ट इमरान शेख
हंसती कभी-कभी है, शायर की डायरी है

जयपुर 24 दिसम्बर
गुलाबीनगरी में पहली बार गुजरात के धनतेज गाँव में जन्मे और फिलहाल वडोदरा से आए मशहूर शायर खलील धनतेजवी ने बुधवार को अपने अशआर और गजलों की प्रस्तुति से कविता और गजल प्रेमियों का दिल जीत लिया। साहित्यिक संस्था रस कलश व जवाहर कला केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में रंगायन सभागार में रजनीगंधा काव्यसंध्या में धनतेजवी ने समाज, उसकी तस्वीर एवं घटनाओं को शायरी में पिरोकर देर तक लोगों को बांधे रखा। उन्होंने श्रोताओं को अपने पुरअसर अशआर सुनाते हुए कहा कि `मैंने जब भी कागज पर शायरी उतारी है, यूं लगा आंधियों की आरती उतारी है...´ इसके बाद उन्होंने दूसरे अंदाज में एक शेर कुछ इस तरह से कहा कि `तू मेरा दोस्त है दो चार कदम आगे चल, तू अगर पीछे चलेगा तो मैं डर जाऊंगा...´ सुनाया तो सभागार वाह-वाह की गूंज से गुजायमान हो उठा।

धनतेजवी ने करीब डेढ घंटे तक शायरी के दौर को जारी रखते हुए कहा `दौलत बंटी तो भाईयों का दिल भी बंट गया, जो पेड़ मेरे हिस्से में आया वो कट गया...´ शेर सुनाकर आज के माहौल पर व्यंग्य किया। इसके बाद उन्होंने बढ़ती हुई महंगाई को भी नहीं बक्शा और कहा कि `अब मैं राशन की कतारों में नज़र आता हूँ।अपने खेतों से बिछड़ने की सज़ा पाता हूँ इतनी महंगाई की बाजार से कुछ लाता हूं, अपने बच्चों में बांटने से घबराता हूं...´ जैसे शेर सुनाकर श्रोताओं से दाद पाई।

इससे पूर्व रजनीगंधा की शुरुआत राजस्थान के वरिठ कवि कृष्ण कल्पित की कविताओं और गीतों से हुई। उन्होंने कहा कि `हंसती कभी-कभी है, हंसती कभी-कभी है, शायर की डायरी है, शायर की डायरी है, रहने दो मुझको तन्हा, रहने दो मुझको तन्हा, यह आखिरी घड़ी है यह आखिरी घड़ी है....´ सुनाकर श्रोताओं से वाह-वाही लूटी। इससे पूर्व उन्होंने `छत्त पर उतरी चांदनी मन में उतरे आप, हम आंखों की झील में उतर गए चुपचाप...´ दोहा सुनाया। उन्होंने अपने मशहूर गीत 'लेखक जी तुम क्या लिखते हो ' और 'राजा रानी बेटा इकलोता, मां से कथा सुनी थी जिसका अंत नहीं होता' सुनाकर महफिल लूट ली।इस अवसर पर शायर कुमार शिव व समारोह अध्यक्ष डॉ। हरिराम आचार्य ने भी गीत गजलों से लोगों की वाह-वाही लूटी। काव्य संध्या के संचालक जाने माने कवि व्यंग्यकार संपत सरल ने सभी का आभार व्यक्त किया।
तस्वीर विनोद शर्मा साभार डेली न्यूज़

9 comments:

Vinay said...

हंसती कभी-कभी है, शायर की डायरी है

मैं आला नहीं पर अगर यूँ होता:

कभी-कभी हँसती है, शायर की डायरी है

तो क़सम से मज़ा कुछ और बढ़ता, लेखन काफ़ी अच्छा है

Prakash Badal said...

आपका ये ब्लॉग आगे खूब तरक्की करे ये मेरी दुआ है। आपकी रपट अच्छी लगी। आपका स्वागत है।

हें प्रभु यह तेरापंथ said...

अच्छी जानकारी मिली। हार्दिक बधाई। वर्ड वेरिफिकेशन हटा दे तो कमेन्ट करने मे आसानी होगी।

हे प्रभु यह तेरापथ मेरे ब्लोग पर पधारे।

रचना गौड़ ’भारती’ said...

कलम से जोड्कर भाव अपने
ये कौनसा समंदर बनाया है
बूंद-बूंद की अभिव्यक्ति ने
सुंदर रचना संसार बनाया है
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लि‌ए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

Sanjay Grover said...

इधर से गुज़रा था सोचा सलाम करता चलूंऽऽऽऽऽऽऽ
और बधाई भी देता चलूं...

अभिषेक मिश्र said...

Kavya-sandhya ka accha vivran uplabdh karaya aapne.Swagat blog parivar aur mere blog par bhi.

प्रदीप मानोरिया said...

आपका लिखने पढने की दुनिया में स्वागत है
मेरे ब्लॉग पर पधारे स्नेहिल आमंत्रण है

hindi-nikash.blogspot.com said...

आपका ब्लॉग देखा बहुत अच्छा लगा.... मेरी कामना है कि आपके शब्दों को नए अर्थ, नए रूप और विराट संप्रेषण मिलें जिससे वे जन-सरोकारों के समर्थ सार्थवाह बन सकें.......

कभी फुर्सत में मेरे ब्लॉग पर भी पधारें...
http://www.hindi-nikash.blogspot.com

सादर- आनंदकृष्ण, जबलपुर